मेरी हिन्दी आज फिर अपने निज गृह है लौटकर आई। मेरी हिन्दी आज फिर अपने निज गृह है लौटकर आई।
स्वर्ग,धर्म और तपस्यापिता के रुप हैं।तीर्थ, मोक्ष और ईश्वरमाता स्वरुप हैं। स्वर्ग,धर्म और तपस्यापिता के रुप हैं।तीर्थ, मोक्ष और ईश्वरमाता स्वरुप हैं।
तुम बिन सबल नहीं कोई प्राणी। हैं जग जननी मेरी मात भवानी।। तुम बिन सबल नहीं कोई प्राणी। हैं जग जननी मेरी मात भवानी।।
नवरात्रि का त्यौहार बड़ा ही सुहावना होता! नवरात्रि का त्यौहार बड़ा ही सुहावना होता!
अद्भुत औषधीय गुणों से तुलसी है भरपूर, कभी मत होने देना इनको अपने से बहुत दूर। अद्भुत औषधीय गुणों से तुलसी है भरपूर, कभी मत होने देना इनको अपने से बहुत दूर...
कहीं नदी कहीं है झरना कहीं पर्वत-वृक्ष विशाल है कहीं नदी कहीं है झरना कहीं पर्वत-वृक्ष विशाल है